कड़वा है पर सत्य है, दाता कौन भिखारी कौन ?

जब हम दुखी होते हैं परेशान होते हैं तो भगवान के दरबार में जाते हैं प्रार्थना करते हैं और जो आवश्यकता है हमारी उनकी मांग करते हैं भगवान से हाथ फैलाते हैं उनके सामने पर जब हमारी मांग पूरी हो जाती हैं हमारी मनोकामना पूरी हो जाती है तब हम भगवान के दरबार में जाते हैं तो ना तो ठीक से प्रणाम करते हैं । और पैसे भी अगर चढ़ाते हैं, तो फेंक कर चढ़ाते हैं, जैसे कि हम दाता हों और भगवान भिखारी हों, अपने आपको ही सर्वोपरि मानने लगते हैं। तो हम कभी दाता नहीं हो सकते मेरे प्यारे भाइयों हम कुछ लोगों के लिए तो दाता हो सकते हैं। पर भगवान के लिए कभी दाता नहीं हो सकते , दाता तो एक ही है । दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया, तो हम सब तो भिखारी हैं मेरे भाई दाता तो मेरे राम और श्याम है अर्थात भगवान ।

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